गुरुवार, 30 नवंबर 2017

गोल्डमेडिलिस्ट मीराबाई

#2017IWFWWC
मीराबाई जी को गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम ऊँचा करने पर संजय अलबेला जागरण पार्टी की तरफ से हार्दिक बधाई
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सोमवार, 20 नवंबर 2017

मानुषी छिल्लर जी को #विश्व सुंदरी बनने पर बधाईयॉ



@ManushiChhillar आपको विश्व सुंदरी बनने पर #संजय_अलबेला_जागरण_पार्टी  #दिल्ली की तरफ से हार्दिक बधाईयॉ #ManushiChillar #MissWorld2017
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गुरुवार, 16 नवंबर 2017

संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली विकिपिडिया

संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली

जो कि अब विकिपिडिया पर भी उपलब्ध है.

नीचे दिये लिंक पर किल्क करे

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मंगलवार, 14 नवंबर 2017

बाल दिवस



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सोमवार, 13 नवंबर 2017

संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली की परस्तुति

 संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली की  परस्तुति


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शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

मेरी कोम की जीवनी


*मेरी कोम- जीवनी 

एक महिला खिलाड़ी जिन्होंने अपनी महान उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित किया है, ऐसी महान महिला का नाम है मेरी कोम, जो एक अकेली भारतीय महिला बॉक्सर है।
मेरी ने 2012 में हुए ओलंपिक में क्वालीफाई किया था, और ब्रोंज मैडल हासिल किया था। पहली बार कोई भारतीय बॉक्सर महिला यहाँ तक पहुंची थी। इसके अलावा वे 5 बार वर्ल्ड बॉक्सर चैम्पियनशीप जीत चुकी है।
मेरी ने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुवात 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मेरी कोम समस्त भारत के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, इनका जीवन कई उतार चढ़ाव से भरा हुआ रहा। बॉक्सिंग में करियर बनाने के लिए इन्होने बहुत मेहनत की और अपने परिवार तक से लड़ बैठी थी।
www.Singersanjaysinghalbela.tk
*मेरी कोम का जीवन परिचय:*
मेरी कोम का पुरा नाम मांगते चुंगनेजंग मेरी कोम है। मेरी कोम का जन्म 1 मार्च 1983 में कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत में हुआ था। इनके पिता एक गरीब किसान थे। ये चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी, कम उम्र से ही मेरी बहुत मेहनती रही है, अपने माता पिता की मदद करने के लिए वे भी उनके साथ काम करती थी। साथ ही वे अपने भाई बहनों की देखभाल करती थी।
मेरी ने इन सब के बाद भी पढाई की और इसकी शुरुवात ‘लोकटक क्रिस्चियन मॉडल हाई स्कूल’ से की, जहाँ वे 6th तक पढ़ी। इसके बाद संत ज़ेवियर कैथोलिक स्कूल चली गई, जहाँ से इन्होने कक्षा आठवीं की परीक्षा पास की। आगे की पढाई 9th and 10th के लिए वे आदिमजाति हाई स्कूल चली गई, किन्तु वे परीक्षा में पास नहीं हो पाई। स्कूल की पढाई मेरी ने बीच में ही छोड़ दी और आगे उन्होंने NIOS की परीक्षा दी। इसके बाद इन्होंने अपना ग्रेजुएशन चुराचांदपुर कॉलेज, इम्फाल (मणिपुर की राजधानी) से किया।
Singer Sanjay Singh Albela
मेरी को बचपन से ही एथलीट बनने का शौक रहा, स्कूल के समय में वे फुटबॉल जैसे में हिस्सा लेती थी। लेकिन मजाक की बात यह है कि उन्होंने बॉक्सिंग में कभी भाग नहीं लिया था। सन 1998 में बॉक्सर ‘डिंगको सिंह’ ने एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल जीता, वे मणिपुर के थे।
उनकी इस जीत से उनकी पूरी मातृभूमि झूम उठी थी। यहाँ मेरी ने बॉक्सिंग करते हुए डिंगको को देखा, और इसे अपना करियर बनाने की ठान ली। इसके बाद उनके सामने पहली चुनौती थी, अपने घर वालों को इसके लिए राजी करना। छोटी जगह के साधारण से ये लोग, बॉक्सिंग को पुरुषों का खेल समझते थे, और उन्हें लगता था इस तरह के गेम में बहुत ताकत मेहनत लगती है, जो इस कम उम्र की लड़की के लिए ठीक नहीं है।
मेरी ने मन में ठान लिया था कि वे अपने लक्ष्य तक जरुर पहुंचेंगी, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े। मेरी ने अपने माँ बाप को बिना बताये इसके लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी। एक बार इन्होने ‘खुमान लम्पक स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स’ में लड़कियों को लड़कों से बॉक्सिंग करते देखा, जिसे देख वे स्तब्ध रे गई। यहाँ से उनके मन में उनके सपने को लेकर विचार और परिपक्व हो गए।
वे अपने गाँव से इम्फाल गई और मणिपुर राज्य के बॉक्सिंग कोच एम् नरजीत सिंह से मिली और उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए निवेदन किया। वे इस खेल के प्रति बहुत भावुक थी, साथ वे एक जल्दी सिखने वाली विद्यार्थी थी। ट्रेनिंग सेंटर से जब सब चले जाते थे, तब भी वे देर रात तक प्रैक्टिस करती रहती थी।
*Sanjay Albela Jagran party Delhi NCR*
*मेरी कॉम का करियर:*
बॉक्सिंग शुरू करने के बाद मेरी को पता था कि उनका परिवार उनके बॉक्सिंग में करियर बनाने के विचार को कभी नहीं मानेगा, जिस वजह से उन्होंने इस बात को अपने परिवार से छुपा कर रखा था। 1998 से 2000 तक वे अपने घर में बिना बताये इसकी ट्रेनिंग लेती रही। सन 2000 में जब मेरी ने ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, मणिपुर’ में जीत हासिल की, और इन्हें बॉक्सर का अवार्ड मिला, तो वहां के हर एक समाचार पत्र में उनकी जीत की बात छपी, तब उनके परिवार को भी उनके बॉक्सर होने का पता चला।
इस जीत के बाद उनके घर वालों ने भी उनकी इस जीत को सेलिब्रेट किया। इसके बाद मेरी ने पश्चिम बंगाल में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में गोल्ड मैडल जीत, अपने राज्य का नाम ऊँचा किया।
• 2001 – सन 2001 में मेरी ने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपना करियर शुरू किया। इस समय इनकी उम्र 18 साल मात्र थी। सबसे पहले इन्होने अमेरिका में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, 48 kg वेट केटेगरी में हिस्सा लिया और यहाँ सिल्वर मैडल जीता।
• सन 2002 में तुर्की में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, 45 kg वेट केटेगरी में मेरी विजयी रहीं और इन्होने गोल्ड मैडल अपने नाम किया। इसी साल मेरी ने हंगरी में आयोजित ‘विच कप’ में 45 वेट केटेगरी में भी गोल्ड मैडल जीता।
• 2003 – सन 2003 में भारत में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में 46 kg वेट केटेगरी में मेरी ने गोल्ड मैडल जीता। इसके बाद नॉर्वे में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग वर्ल्ड कप’ में एक बार फिर मेरी को गोल्ड मैडल मिला।
• 2005 – सन 2005 में ताइवान में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ 46 kg वेट क्लास में मेरी को फिर से गोल्ड मैडल मिला। इसी साल रसिया में मेरी ने AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप भी जीती।
• 2006 – सन 2006 में डेनमार्क में आयोजित ‘वीनस वीमेन बॉक्स कप’ एवं भारत में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में मेरी ने जीत हासिल कर, गोल्ड मैडल जीता।
• 2008 – एक साल का ब्रेक लेकर मेरी 2008 में फिर वापस आई और भारत में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में सिल्वर मैडल जीता। इसके साथ ही AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप चाइना में गोल्ड मैडल जीता।
• 2009 – सन 2009 में वियतनाम में आयोजित ‘एशियन इंडोर गेम्स’ में मेरी ने गोल्ड मैडल जीता।
• 2010 – सन 2010 कजाखस्तान में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में मेरी ने गोल्ड मैडल जीता, इसके साथ ही मेरी ने लगातार पाचंवी बार AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में गोल्ड मैडल जीता। इसी साल मेरी ने एशियन गेम्स में 51 kg वेट क्लास में हिस्सा लेकर ब्रोंज मैडल जीता था। 2010 में भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का भी आयोजन हुआ था, यहाँ ओपनिंग सेरेमनी में विजेंदर सिंह के साथ मेरी कोम भी उपस्थित थी। इस गेम्स में वीमेन बॉक्सिंग गेम का आयोजन नहीं था, जिस वजह से मेरी यहाँ अपनी प्रतिभा नहीं दिखा सकीं।
• 2011 – सन 2011 में चाइना में आयोजित ‘एशियन वीमेन कप’ 48 kg वेट क्लास में गोल्ड मैडल जीता।
• 2012 – सन 2012 में मोंगोलिया में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ 51 kg वेट क्लास में गोल्ड मैडल जीता। इस साल लन्दन में आयोजित ओलंपिक में मेरी को बहुत सम्मान मिला, वे पहली महिला बॉक्सर थी जो ओलंपिक के लिए क्वालिफाइड हुई थी। यहाँ मेरी को 51 kg वेट क्लास में ब्रोंज मैडल मिला था। इसके साथ मेरी तीसरी भारतीय महिला थी, जिन्हें ओलंपिक में मैडल मिला था।
• 2014 – सन 2014 में साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में वीमेन फ्लाईवेट (48-52kg) में मेरी गोल्ड मैडल जीता और इतिहास रच दिया।
*मेरी कोम पर्सनल लाइफ:*
मेरी की मुलाकात सन 2001 में ओन्लर से दिल्ली में हुई थी, जब वे पंजाब में नेशनल गेम्स के लिए जा रही थी। उस समय ओन्लर दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ पढ़ रहे थे। दोनों एक दुसरे से बहुत प्रभावित हुए, चार साल तक दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता रहा, जिसके बाद सन 2005 में दोनों ने शादी कर ली। दोनों के तीन लड़के है, जिसमें से 2 जुड़वाँ बेटों का जन्म 2007 में हुआ था, एवं एक और बेटे का जन्म 2013 में हुआ।
*मेरी कॉम अवार्ड्स एवं अचीवमेंट:*
• सन 2003 में अर्जुन अवार्ड मिला।
• सन 2006 पद्म श्री अवार्ड मिला।
• सन 2007 में खेल के सबसे बड़े सम्मान ‘ राजीव गाँधी खेल रत्न’ के लिए नोमिनेट किया गया।
• सन 2007 में लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा पीपल ऑफ़ दी इयर का सम्मान मिला।
• सन 2008 में CNN-IBN एवं रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा ‘रियल हॉर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया गया
• सन 2008 पेप्सी MTV यूथ आइकॉन
• सन 2008 में AIBA द्वारा ‘मैग्निफिसेंट मैरी’ अवार्ड।
• 2009 में राजीव गाँधी खेल रत्न दिया गया।
• सन 2010 में सहारा स्पोर्ट्स अवार्ड द्वारा स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ़ दी इयर का अवार्ड दिया गया।
• सन 2013 में देश के तीसरे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
*मेरी कोम फिल्म:*
मेरी कोम के जीवन पर आधारित फिल्म ‘मेरी कोम’ को ओमंग कुमार ने बनाया था, जिसे 5 सितम्बर 2014 में रिलीज़ किया गया था। फिल्म में मुख्य भूमिका में प्रियंका चोपड़ा थी, जिसमें उनकी अदाकारी देखने लायक  है
संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

सिंगर संजय सिंह अलबेला जीवनी

सिंगर संजय सिंह अलबेला
सिंगर संजय सिंह अलबेला. जो कि पिछले कई बर्षो से दिल्ली मे  माता का जागरण , भजन संछ्या , माता की चौकी के सुप्रसिदछ् है.




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सिंगर संजय सिंह अलबेला - एक परिचय

सिंगर संजय सिंह अलबेला
सिंगर संजय सिंह अलबेला. जो कि पिछले कई बर्षो से दिल्ली मे  माता का जागरण , भजन संछ्या , माता की चौकी के सुप्रसिदछ् है.

राजीव दीक्षित की जीवनी Rajiv Dixit Biography in Hindi

राजीव दीक्षित की जीवनी 
Rajiv Dixit Biography in Hindi
Rajiv Dixit राजीवं दीक्षित भारत के एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपने व्याख्यानों से पुरे देश में स्वदेशी आन्दोलन की अलख जगाई | इस स्वदेशी आन्दोलन में उन्होंने भारत के इतिहास से लेकर विदेशी कंपनियों के लुट के बारे में बताया था कि किस तरह विदेशी कंपनियों के भारत गरीबी की ओर बढ़ता जा रहा है | Rajiv Dixit राजीब दीक्षित को खुलकर बोलना पसंद था और वो किसी नेता से नही डरते थे | वो सदैव भारत के नेताओ की असलियत को देश की जनता तक पहुचाते रहे है | राजनितिक प्रश्नों के अलावा उन्होंने घरेलू आरोग्य प्द्द्दतियो और स्वदेशी चिकित्सा का भी प्रसार किया जिससे देश के लाखो लोग लाभन्वित हुए है | आइये आपको उसी स्वदेशी आन्दोलन के प्रणेता राजीव दीक्षित की जीवनी से रूबरू करवाते है |
Early life of Rajiv Dixit
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में हुआ था | उनके पिता का नाम राधेश्याम दीक्षित और माता का नाम मिथिलेश कुमारी दीक्षित था | राजीव दीक्षित के दादाजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे जिन्होंने कई स्वदेशी आंदोलनों में भाग लिया था | राजीव दीक्षित के पिताजी BTO ऑफिसर थे  | राजीव दीक्षित के परिवार में उनके छोटे भाई प्रदीप दीक्षित और बहन लता शर्मा है | राजीव दीक्षित ने अपना बचपन गाँव नाह में ही बिताया था जहा से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा ली थी | उन्होंने अपने एक व्याख्यान में अपने गाँव के बारे में बताया था कि उनके गाँव में अभी तक बिजली और रोड नही है जिसके कारण उन्हें गाँव से 5-6 किमी पहले ही उतरकर गाँव में पैदल जाना पड़ता था |
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने अपनी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद से ली थी | अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वो इलाहाबाद B.Tech पढने के लिए गये | इलाहाबाद में उन्होंने JK इंस्टिट्यूट नामक कॉलेज से उन्होंने B.tech की डिग्री ली और बाद में M.Tech की डिग्री ली थी | इस दौरान भोपाल गैस हत्याकांड से काफी पीड़ित हुए थे जिसकी वजह से उन्होंने बी.टेक बीच में रोक दी लेकिन इसे बाद में पूरा करके उन्होंने अपनी शिक्षा पुरी की थी | अब आइये आपको उनके स्वदेशी आदोंलन से प्रेरित होने की कहानी के बारे में बताते है |
Life Changing Tour
अपनी B.tech की पढाई के दौरान एक रिसर्च के सिलसिले में वो नीदरलैंड गये जहा पर एम्स्टर्डम में उनको अपने रिसर्च के बारे में बोलना था | यहा पर जब उन्होंने अंगरेजी में अपना रिसर्च पत्र पढना शुरू किया तो उनको एक डच वैज्ञानिक ने रोकते हुए कहा कि “तुम अपनी मातृभाषा हिंदी में रिसर्च पेपर क्यों नही पढ़ते ? ” इस पर Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने जवाब दिया “अगर मै हिंदी  में रिसर्च पेपर पढूंगा तो यहा पर किसी को समझ में नही आएगा  ” |  उस डच वैज्ञानिक ने कहा “हमारी समझने या ना समझने की चिंता आप क्यों करते है और आप से पहले आये हुए कई वैज्ञानिको ने अपनी मातृभाषा में रिसर्च पेपर पढ़ा था जबकि वो भी चाहते तो अंग्रेजी में पढ़ सकते थे  ,  इसके अलावा यहा पर भाषा अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है जिससे आपकी बात लोगो तक पहुच जायेगी ”
यह संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली की ब्लाग की तरफ से है. |
इसके बाद से Rajiv Dixit राजीव दीक्षित को अपनी मातृभाषा के महत्व की समझ आयी कि जब तक आप अपने मौलिक शोध के बारे में अपनी मातृभाषा में नही बोलेंगे तब तक आपको कोई नही समझ पायेगा |  इसके बाद उन्होंने गहन चिन्तन किया और हिंदी पर अपनी पकड़ बनाना शुरू किया क्योंकि बचपन से अंग्रेजी विध्यालयो में पढने की वजह से उनकी आदत अंग्रेजी भाषा की बनी हुयी थी | वही पर उन्होंने अन्य देशो एक वैज्ञानिको से उनकी शिक्षा पद्दति के बारे में प्रश्न किया तो उन्होंने बताया कि उनकी शिक्षा पद्धति उनकी मातृभाषा में होती है | तब राजीव दीक्षित ने सोचा कि अगर दुसरे सभे देश अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा लेते है तो भारत में शिक्षा पद्दति का अंग्रेजीकरण क्यों है और इसका निदान कैसे किया जाए | इसके बाद वो भारत की शिक्षा पद्धति की खोज में लग गये |
 Sanjay Albela Jagran party Delhi NCR
आजादी बचाओ आन्दोलन
अब जब वो नीदरलैंड से भारत लौटे तो उन्होंने अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बनाया कि भारत को विदेशी कंपनियों की लुट से भारत को आजाद करना है इसके लिए उन्होंने भारत में आकर “आजादी बचाओ आन्दोलन ” की शुरुवात की | सन 1991 में अपने कुछ साथियो के साथ मिलकर उन्होंने इस आन्दोलन की शुरुवात की थी | वैसे तो इस आजादी बचाओ आन्दोलन की जड़े तो 1984 के भोपाल गैस हत्याकांड से ही शुरू हो गयी थी जिसमे यूनियन कार्बोइड की वजह से कई लोगो की जान गयी थी |  उस समय इस आन्दोलन का उद्द्देश्य भोपाल गैस हत्याकांड की दोषी अमेरिकी कम्पनी “यूनियन कार्बोइड ” को देश से भगाना था |
इस कम्पनी को उस समय जब भारत सरकार ने माफ़ कर दिया तब इसको देश से बाहर निकालने के लिए इस अभियान की शुरुवात की गयी थी | इस अभियान ने राजीव दीक्षित और उनके साथी सफल रहे और उस कम्पनी को देश छोडकर भागना पड़ा था | इसके बाद उन्होंने कारगिल , dupont  जैसी बड़ी कंपनियों को इस देश से भगाया था | इसके बाद 1991 में उन्होंने डंकल प्रस्ताव के विरोध में कई व्याख्यान और जन रेलिया की थी क्योंकि इस प्रस्ताव के तहत अनेको विदेशी कंपनियों को भारत में व्यापार करने की अनुमति मिलने वाली थी | जब इस डंकल प्रस्ताव का अध्यक्ष आर्थर डंकल भारत आया तो एअरपोर्ट पर ही Rajiv Dixit राजीव दीक्षित और उनके साथियो ने डंकल के साथ मारपीट की थी जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा था |
जब वो तिहाड़ जेल में गये थे उस समय तिहाड़ जेल की पुलिस अधीक्षक किरण बेदी थी | वहा पर जेल में रहते हुए उन्होंने बॉडी मार्क चैक करवाने के लिए कपड़े उतरवाने के नियम का विरोध किया था | अब उन्होंने इस नियम के विरोध में किरण बेदी से इस नियम के नियमावली प्रपत्र को पढने की बात कही | किरण बेदी ने बड़ी मुश्किल से उस नियमवाली पत्र को राजीव दीक्षित तक पहुचाया | ये नियमावली पत्र 1860 का बना हुआ था जिसमे सांफ लिखा हुआ था कि इस नियम का उपयोग अंग्रेज भारतीयों का अपमान करने के लिए करते थे | उस समय अंग्रेजो का उद्देश्य कैदी की जांच करने से ज्यादा अपमान करना था ताकि वो ज्यादा विरोध ना करे | इस पत्र को पढकर उनके मन में अंग्रेजो के नियमो को अब तक अपनाये जाने पर अफ़सोस हुआ था और इसपर उन्होंने जेल से छुटने के बाद रिसर्च किया था |
इतिहासकार धर्मपाल से मुलाकात Rajiv Dixit Meets Professor Dharmpal
1997 में राजीव दीक्षित Rajiv Dixit के जीवन में एक नया मोड़ आया जब उनकी मुलाकात इतिहासकार और लेखक प्रोफेसर धर्मपाल से हुयी तो पिछले कई वर्षो से यूरोप में अध्यापक थे | अब राजीव दीक्षित ने उनके सानिध्य में रहकर अंग्रेजो के समय के एतेहासिक दस्तावेजो का उन्होंने अध्ययन किया और उन दस्तावेजो के आधार पर देश को जागृत करने का प्रण लिया | ये दस्तावेज धर्मपाल जी ने इंग्लैंड के पुस्तकालय से बड़ी मुशिकल से इक्कठे किये थे | अब उन्होंने इन दस्तावेजो की प्रमाणिकता को सत्यापित करने के लिए पुरे देश का भ्रमण किया और आवश्यक सूचनाये इकट्ठी की | इन्ही सूचनाओं को उन्होंने अपने व्याख्यानों के जरिये पुरे देश की जनता तक पहुचाया | 

संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली

Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने अपने शोधो में पाया था कि अंग्रेजो ने 34,735 कानून भारत को  लुटने के लिए बनाये थे और उनका कहना था कि भारत सरकार आज भी वो सारे कानून चला रहा है जो अंग्रेजो ने अपनी सुविधा के लिए बनाये थे  | राजीव दीक्षित ने बताया था कि इन्ही अंग्रेजो के नियमो की वजह से भारत में भ्रष्टाचार ,गरीबी , भुखमरी जैसी समस्याए है | उनका कहना था कि 15 अगस्त 1947 को केवल सत्ता का हस्तांतरण हुआ था जबकि भारत को आजादी नही मिली थी | उनका कहना था कि स्वतंत्रता का अर्थ अपने बनाये हुए नियमो और व्यवस्थाओ में जीना है लेकिन 1947 में एक भी नियम खुद के तन्त्र का नही बना हुआ है |
सिंगर संजय सिंह अलबेला
योग गुरु बाबा रामदेव से मुलकात
सन 1999 में राजीव दीक्षित Rajiv Dixit की मुलाक़ात योग गुरु स्वामी रामदेव से हुयी थी जो उस समय योग को देश में फ़ैलाने के लिए अग्रसर थे | अब स्वामी रामदेव से मुलकात के बाद उन्होंने भारत को स्वावलम्बी और स्वदेशी बनाने के लिए दस वर्षो तक अथक प्रयास किया था | दस वर्षो के बाद दोनों ने मिलकर 2009 में “भारत स्वाभिमान ” की स्थापना की थी | इस “भारत स्वाभिमान ” के राष्ट्रीय सचिव का पद राजीव दीक्षित को दिया गया | बाबा रामदेव भी राजीव जी के व्याख्यानों से इतने प्प्रेरित थे कि उन्होंने कई व्याख्यान अपने पातंजली योगपीठ में करवाए ताकि उनकी बात टीवी के माध्यम से पुरे देश की जनता तक पहुचे |
1 अप्रैल 2009 को भारत स्वाभिमान का उद्घाटन हुआ था जिसे आस्था टीवी चैनल पर सीधा प्रसारित किया गया था | यही से उनकी लोकप्रियता चरम सीमा पर पहुच गयी थी और देश के करोड़ो लोग उनके व्याख्यान सुनने लगे | उनके व्याख्यान इतनी सरल भाषा में होते थे जिनको समझना बड़ा आसान था | उनके व्याख्यानों से देश के लोगो को भारत का वास्तविक इतिहास और स्वदेशी की महता का पता चला था | उन्होंने इस भारत स्वाभिमान के तहत कई विदेशी कंपनियों का खुलासा किया था जो भारत को अनेक वर्षो से लुट रही है | उनको राजीनीतिक पार्टियों से भी आपत्ति थी और उन पर खुलकर प्रहार करते थे | इसी के साथ उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा पद्धति , देश के सविधान ,कानून प्रणाली जैसे कई मुद्दों पर तथ्यों के साथ अपने व्याख्यान दिए थे | संजय अलबेला जागरण पार्टी दिल्ली
राजीव दीक्षित की मृत्यु Rajiv Dixit Death
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित पुरे देश में अपने भारत स्वाभिमान अभियान का प्रसार कर रहे थे | इन्ही व्याख्यानों के दौरान वो 26 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में गये थे | यहा पर उन्होंने दो जनसभाओ को सम्भोधित किया था | उसके अगले दिन वो जांजगीर जिले में व्य्खायान देने गये जहा पर भी उन्होंने दो विशाल जनसभाए की थी | इसके 28 नवम्बर को बिलासपुर और 29 नवम्बर को दुर्ग जिले में पहुचे थे | अब दुर्ग में अपने व्याख्यान देने के लिए बेमेतरा तहसील से वो रवाना हुए वहा पर रास्ते में ही उन्हें पसीना आने लगा था | उनके साथ जा रहे आचार्य दयासागर ने उनसे तबीयत पुची तो उन्होंने बताया था कि उन्हें शायद गैस की शिकायत है इसलिए आचार्य दयासागर उनको अपने दुर्ग वाले आश्रम में लेकर गये |
आश्रम में आकर वो सीधा शौचालय में गये | काफी देर बाद जब राजीव जी बाहर नही निकले तो दरवाजे को तोडा गया | उस समय राजीव जी पसीने से भीगे हुए बेहोश होकर नीचे पड़े हुए थे | उन्हें तुरंत उठाकर बिस्तर पर लेटाया गया | और पानी छिड़का गया | आचार्य दयासागर ने उन्हें तुरंत अस्पताल जाने को कहा लेकिन Rajiv Dixit राजीव दीक्षित ने ये कहकर मना कर दिया कि वो होम्योपैथी डॉक्टर को दिखायेंगे | थोड़ी बार बाद होम्योपैथी डॉक्टर ने आकर उन्हें दवाइया दी | फिर भी उनकी तबीयत में सुधार ना होने पर उन्हें अस्तपाल में भर्ती कराया गया | इसके बाद उन्हें अपोलो होस्पिटल ले जाया गया | अब उन्हें ICU में भर्ती कराया गया जहा पांच डॉक्टरो की टीम उनके साथ थी | उस रात 30 नवम्बर 2010 को 1 से 2 के बीच डॉक्टरो ने राजीव दीक्षित को मृत घोषित कर दिया |
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित के मृत्यु के अज्ञात कारणों के बावजूद बिना पोस्टमार्टम कराए जनता तक ये बात पहुचाई गयी कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुयी थी | राजीव दीक्षित के कई साथियों का मानना है कि उनकी मृत्यु विष के कारण हुयी थी क्योंकि मृत्यु के समय उनका शरीर नीला पड़ गया था लेकिन फिर भी उनका पोस्टमार्टम नही कराया गया था | अब उनकी मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई प्रदीप दीक्षित भी वहा पर पहुचे | अब स्वामी रामदेव ने राजीव दीक्षित के मृत्यु की खबर को अपने योग शिविर के माध्यम से देश की जनता तक पहुचाया था  | उसके बाद भिलाई से राजीव दीक्षित के पार्थिव शरीर को रायपुर मेडिकल कॉलेज में लाया गया | यहा से उनके भाई प्रदीप दीक्षित राजीव दीक्षित के पार्थिव शरीर को पातंजली योगपीठ लेकर आये | यहा पर उनके परिवार और उनके प्रश्न्शको ने उनके अंतिम दर्शन किये थे | उसके बाद        1 दिसम्बर को राजीव दीक्षित का दाह संस्कार खनखल हरिद्वार में किया गया |
Rajiv Dixit राजीव दीक्षित की मृत्यु के बाद उनके चाहने वालो ने राजीव दीक्षित के पोस्टमार्टम न किये जाने पर विरोध प्रकट किया था क्योंकि उनका मानना था कि आयुर्वेद को इतना करीब से जानने वाले को दिल का दौरान कैसे पड़ सकता है जबकी वो वर्षो से दिल के दौरे के लक्ष्ण और उपाय बता रहे थे | उनके प्रशंशक इस घटना के पीछे किसी अज्ञात ताकत का हाथ बता रहे थे जिसका पता नही चल सका और उनकी मृत्यु हमेशा के लिए एक रहस्य बन गयी | इस तरह राजीव दीक्षित ने केवल देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और उन्हें बर्तमान भारत का राष्ट्रभक्त कहा जता है |
मित्रो Rajiv Dixit राजीव दीक्षित भले ही इस दुनिया में नही रहे लेकिन आप उनके व्याख्यानों से देश को विकास के मार्ग पर ले जा सकते है | स्वदेशी आन्दोलन और भारत स्वाभिमान के सभी सदस्यों सहित मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि आप राजीव दीक्षित के स्वदेशी आन्दोलन अभियान को आगे ले जाए और देश में भारत स्वाभिमान की अलख जगाए| मैंने भी बचपन में एक बार उनका व्याख्यान सुना था जब वो हमारे विध्यालय में व्याख्यान देने आये थे | उस समय उन्होंने पेप्सी और कोका कोला जैसी सॉफ्ट ड्रिंक्स के बुरे प्रभाव के बारे में बताया जो आज भी मुझे याद है | तभी से मैंने ना केवल सॉफ्ट ड्रिंक अक त्याग बल्कि स्वदेशी वस्तुओ का उपयोग भी शुरू किया | मैंने भी अपने पुराने लेखो में स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग और विदेशी कंपनियों की लुट पर लेख लिखा था | आप भी केवल स्वदेशी वस्तुए अपनाकर उनका सपना साकार कर सकते है | राजीव जी दीक्षित को शत शत नमन् | जय हिन्द जय भारत
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बुधवार, 1 नवंबर 2017

Sanjay Albela Jagran party

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